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‘2014 के बाद जनता हिंदू हो गई है और मुसलमान पाकिस्तानी..’, किसान आंदोलन पर रवीश कुमार का पोस्ट वायरल

‘2014 के बाद जनता हिंदू हो गई है और मुसलमान पाकिस्तानी..’, किसान आंदोलन पर रवीश कुमार का पोस्ट वायरल

 


नए कृषि कानून को लेकर देश के कई हिस्सों में किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। देश की राजधानी दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर तो पंजाब के हजारों किसान पिछले करीब 15 दिन से अपनी आवाज बुलंद किये हुए हैं। इन पंजाबी किसानों और किसान यूनियनों को सोशल मीडिया में एक तबका और कुछ राजनीतिक दल खालिस्तानी और आतंकी बता रहे हैं। सोशल मीडिया में आंदोलनकारी किसानों को लेकर कई तरह की बातें वायरल की जा रही हैं। पंजाबी किसानों को आतंकवादी बताने वालों के लिए वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने एक फेसबुक पोस्ट लिखा है। यह पोस्ट वायरल हो रहा है।रवीश कुमार ने कई किसान नेताओं और संगठनों के नामों का उदाहरण देते हुए लिखा कि इन लोगों ने हर समय़ आतंकवाद से लोहा लिया है। कई लोग खालिस्तानियों का विरोध कर शहीद हो गए। बकौल रवीश कुमार ये किसान यूनियन जिन्हें खालिस्तानी समर्थक बताया जा रहा है इन लोगों ने पंजाब में दहशतगर्दी से लंबी लड़ाई लड़ी है। रवीश कुमार का कहना है कि अब जिस समय पंजाब के किसानों औऱ उनके किसान यूनियनों पर तरह-तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं तो उनके गौरवशाली इतिहास के बारे में जानना बहुत जरूरी हो गया है।

रवीश कुमार ने आगे लिखा- ‘2014 के बाद से यह मान लिया गया है कि देश में जनता नहीं है। वह जनता होने के टाइम में हिन्दू होती है। गोदी मीडिया से उसे हिन्दू बनाया जाता है। जनता हिन्दू बन जाती है। जो हिन्दू नहीं बनते हैं उनके सामने किसी को मुसलमान बना दिया जाता है। जो मुसलमान होते हैं उन्हें पाकिस्तानी कहा जाता है। हर विरोध और सवाल को मुसलमान और पाकिस्तानी बना दिया जाता है। जनता हिन्दू बन जाती है। जनता जनता नहीं रह जाती। यह बात ठीक है। जनता के एक बड़े वर्ग के आगे हिन्दू होने का कनात तान दिया गया है। कनात के बाहर वह कुछ भी होने का दृश्य नहीं देखना चाहती है। अपने कनात में ख़ुश रहना चाहती है। वह हर किसी को इसी चश्मे से देखने लगी है।

जनता के गुणसूत्र और जनधर्म को बदल कर सहमतियों का दायरा इतना बड़ा तो कर ही लिया गया है कि किसान को आतंकवादी कहा जा सकता है। किसी लेखक को पाकिस्तानी कहा जा सकता है। पाकिस्तानी, आतंकवादी, नक्सली ये सब मुसलमान के लिए इस्तमाल होने वाले पर्यायवाची हैं। आई टी सेल, गोदी मीडिया के अख़बार, चैनल सबने मिल कर बिजली की गति से इस देश की जनता के दिमाग़ में एक नया यथार्थ लोक बना दिया है। जिसका सामने के यथार्थ से कोई नाता नहीं होता है। उस यथार्थ लोक में जनता की ज़रूरत नहीं है। वहां ज़रूरी होने की पहली शर्त ही यही है कि जनता होना छोड़ दें।

नीति आयोग के कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत ने इसे दूसरे शब्दों में कहा है। भारत में कुछ ज़्यादा ही लोकतंत्र हैं। too much democracy. उनके लिए लोकतंत्र नमक हो गया है जिसका ज़्यादा होना ठीक नहीं है। तानाशाही मिठाई है। ज़्यादा हो जाए तो कोई बात नहीं। अहंकारी होने का स्वर्ण युग है।’

रवीश कुमार के इस पोस्ट पर मिली जुली प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। जहां कुछ लोग रवीश कुमार को ट्रेल करते हुए लिख रहे हैं कि बोतल में मनी प्लांट लगाने वाले लोग लआज कृषि कानून पर ज्ञान बांट रहे हैं तो वहीं कुछ लोग रवीश की बातों से सहमति भी जता रहे हैं। रवीश की बातों से सहमत यूजर्स ने लिखा कि किसान के घर से भीख मांगकर खाने वाले लोग ही आज किसान को आतंकी और खिलस्तानी बोल रहे हैं।

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