Caravan’ के कवर पेज पर नरेंद्र मोदी, बताए गए ‘एग्जिक्यूटिव (और) एडिटर’, लोग करने लगे ऐसे कमेंट्स
राजनीतिक मैगजीन ‘द कारवां’ का दिसंबर एडिशन सोशल मीडिया पर काफी सुर्खियां बटोर रहा है। दरअसल, मैगजीन ने इस बार कवर पेज पर प्रधानमंत्री मोदी को रखा है और उनके साथ लिखा है- एग्जीक्यूटिव (एंड) एडिटर। कारवां मैगजीन ने इस कवर पेज के जरिए मोदी सरकार के मीडिया पर नियंत्रण को लेकर सवाल उठाए हैं। साथ ही इसमें शीर्षक दिया है कि कैसे मीडिया सरकार की एक बाजू बन चुकी है।
मैगजीन ने अपने ताजा एडिशन में मीडिया पर जो पॉइंट पेश किए हैं, उनमें हिंदी मीडिया ग्रुप दैनिक जागरण द्वारा चलाए जाने वाले उर्दू अखबार इंकलाब पर सवाल पेश किए गए हैं। इसके अलावा तमिल न्यूज चैनल और विकिपीडिया पर एडिटिंग को लेकर भी आर्टिकल रखे गए हैं। अन्य आर्टिकल्स में मीडिया द्वारा लद्दाख में चीन की घुसपैठ की खबर गलत दिशा में रखने और कोर्ट के मामलों में पत्रकारिता के नियमों के खात्में पर भी लेख प्रकाशित किए गए हैं।
मैगसायसाय अवॉर्ड से सम्मानित पत्रकार रवीश कुमार ने मैगजीन का कवर पेज अपने फेसबुक पेज पर शेयर किया है। उन्होंने पोस्ट में कुछ नहीं लिखा। हालांकि, मौजूदा समय की मीडिया को लगातार गोदी मीडिया कह कर तंज कसने वाले रवीश ने इशारों में ही अपनी बात रख दी। अपने पिछले कुछ पोस्ट में भी रवीश ने मीडिया पर किसान आंदोलन को सही ढंग से न दिखाने का आरोप लगाया था। इससे पहले वे कई बार आम लोगों से टीवी चैनल न देखने की अपील भी करते नजर आए हैं।
सोशल मीडिया पर आए कई कमेंट्स: कारवां मैगजीन के इस कवर पेज पर सोशल मीडिया यूजर्स बंटे दिखे। जहां कई लोगों ने इसे आज की मीडिया की हकीकत करार दिया, वहीं बाकी लोगों ने कहा कि सरकारों की कोशिशें मीडिया को नियंत्रित करने की ही हैं। अनुराग श्रीवास्तव नाम के एक यूजर ने कहा, “यही एक समस्या है, कांग्रेस के समय पर भी मीडिया निष्पक्ष नहीं थी। इस देश की मीडिया ही गलत परिप्रेक्ष्य बनाने की जिम्मेदार है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही उसे अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करते हैं।”
एक अन्य यूजर सुशील महेंद्र प्रसाद ने लिखा, “मीडिया 2014 तक निष्पक्ष थी, पर अचानक मोदी के आने के बाद मीडिया पक्षपाती हो गई, कैसे भला?” हर्षवर्धन चौधरी ने कहा, “जिस मैगजीन ने यह कवर पेज प्रकाशित किया है, उसी ने पुलवामा हमलों के बाद शहीद हुए जवानों के जातीय समीकरणों को पेश करते हुए कहा था कि मृतकों में कोई भी ब्राह्मण नहीं था।” चौधरी ने रवीश कुमार की पत्रकारिता पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस तरह का निष्पक्ष पत्रकार अपने रिपोर्टिंग करियर में इस तरह आ जाएगा, यह उम्मीद नहीं थी।
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